Singrauli News : सिंगरौली में ड्रग इंस्पेक्टर न होने से मेडिकल स्टोर्स पर नशीली दवाई की धड़ल्ले से बिक्री,ड्रग व इंजेक्शन के एडिक्ट हो रहे युवा - Nai Samachar

Singrauli News : सिंगरौली में ड्रग इंस्पेक्टर न होने से मेडिकल स्टोर्स पर नशीली दवाई की धड़ल्ले से बिक्री,ड्रग व इंजेक्शन के एडिक्ट हो रहे युवा

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Singrauli News :  मेडिकल स्टोर्स से प्रिसक्रिप्शन के आधार पर दवाओं की बिक्री व फार्मासिस्ट की तैनाती जांचने के लिए जिले में नियमित ड्रग इंस्पेक्टर नहीं हैं। पहले यहां तैनात रहे ड्रग इंस्पेक्टर आरएस वटी का तबादला रीवा होने के बाद यहां रिक्त पद पर नियमित तैनाती नहीं की गई, बल्कि उन्हीं को सिंगरौली का प्रभार दे दिया गया। अब वे एक-डेढ़ माह में एक-दो दिन के लिए आते हैं और चले जाते हैं। जिससे दवा दुकानों की नियमित जांच नहीं हो पाती। मेडिकल स्टोर्स पर फार्मासिस्ट ही दवाएं बेच रहे हैं या प्रिसक्रिप्शन पर दवाओं की बिक्री हो रही है यह देखने वाला यहां कोई नहीं है। यह स्थिति करीब तीन साल से है। नियमित ड्रग इंस्पेक्टर नहीं होने से जिला मुख्यालय वैढ़न से लेकर सरई, देवसर व चितरंगी सहित जिले के अन्य क्षेत्रों में संचालित लगभग पांच सौ दवा दुकानों का निरीक्षण नहीं हो रहा।

विभागीय कामकाज भी होता है प्रभावित

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कहते हैं कि नियमित ड्रग इंस्पेक्टर की तैनाती नहीं होने से स्वास्थ्य तथा खाद्य एवं औषधि प्रशासन के काम प्रभावित होते हैं। जिन्हें यहां पहले तैनात किया था यदि उन्हीं को प्रभार देना था तो ट्रांसफर ही क्यों किया गया? ड्रग इंस्पेक्टर का का पद खाली रहने से रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस के लिए लोगों को परेशान होना पड़ता है। दवा दुकानों की जांच न होने की समस्या भी है।

एक फार्मासिस्ट के नाम पर कई दुकानें तो नहीं?

ड्रग इंस्पेक्टर को यह भी देखना होता है कि एक फार्मासिस्ट के दस्तावेजों पर कई दुकानें तो नहीं संचालित हैं। जिस फार्मासिस्ट के नाम पर लाइसेंस लिया गया है, क्या वह मेडिकल स्टोर पर रहकर दवाओं की बिक्री करता है। नियम के दवा दुकानों फार्मासिस्ट को अनिवार्य है। दमसी एक्ट कहता रखना है कि एक फार्मासिस्ट के नाम से सिर्फ एक दवा दुकान ही चलाई जा सकती है।

ड्रग व इंजेक्शन के एडिक्ट हो रहे युवा

सरकार ने व्यवस्था बनाई है कि चिकित्सक के प्रिसक्रिप्शन के बिना दवा दुकानों से दवाएं नहीं बेची जाएंगी। बिक्री होने वाली हर दवा का रिकॉर्ड संधारित किया जाएगा। वैढ़न को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर दुकानों पर दवा बिक्री का रिकॉर्ड संधारित नहीं होता। किस मेडिकल स्टोर से कौन सी दवा ज्यादा बिक रही है यह देखने के लिए इग इंस्पेक्टर समय-समय पर निरीक्षण करते हैं। इन्हें ये भी देखना होता है कि सेडाटिव ड्रग व इंजेक्शन की बिक्री यदि ज्यादा हो रही है तो उपयोग कहां, कौन और किस काम में कर रहा। ऐसी दवाओं में डायजापाम, फ्लूराजेपाम, निट्राजेपाम, अत्प्राजोलम, टेमाजेपाम, ट्रायाजोलम सहित कई अन्य है। डिलेवरी के काम आने वाली दवाओं का भी कई लोग नशे के लिए उपयोग करते हैं।

फार्मासिस्ट की निगरानी में हो दवाओं की बिक्री

भारत के ड्रग नियामक ने पूर्व में भी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ड्रग कंट्रोलर और फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने कहा था कि रिटेल मेडिकल स्टोर्स में फार्मासिस्ट मौजूद रहें। दवाइयों की बिक्री उसकी सीधी निगरानी में हो। फार्मेसी एक्ट 1947 के सेक्शन 42-ए और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1945 के रूल्स 65 के क्रियान्वयन की बात कही थी। इसके साथ ये भी कहा था कि बिना सही व मान्य प्रिंसक्रिप्शन के दवा न बिके।

औषधि निरीक्षक की यह है जिम्मेदारी

ड्रग इंस्पेक्टर का सबसे महत्वपूर्ण कार्य उन एजेंसियों, कंपनियों या संगठनों का निरीक्षण करना है जो किसी भी तरह के खाद्य पदार्थ, दवा व सौंदर्य प्रसाधन का उत्पादन, भंडारण और बिक्री करते हैं। वे विसंगतियों को देखते हैं तो उनके पास लाइसेंस रद्द करने का अधिकार होता है। वे किसी भी नकली उत्पाद को पकड़ते हैं और उन्हें नष्ट कर देते हैं। ड्रग इंस्पेक्टर नमूनों की विस्तृत रिपोर्ट और कदाचार को नियंत्रित करने कार्रवाई कर सकता है। स्थानीय अधिकारियों की सहायता से ड्रग नियंत्रण से संबंधित कानूनों व मानकों को लागू करने का अधिकार होता है।

इनका कहना है

जिले में ड्रग इंस्पेक्टर का पद लंबे समय से खाली है। पूर्व में यहां पर तैनात रहे ड्रग इंस्पेक्टर का रीवा तबादला करने के बाद उन्हीं को यहां का प्रभार दे दिया गया। नियमित तैनाती न होने से विभागीय कामकाज भी प्रभावित होता है। डॉ. एनके जैन, सीएमएचओ,सिंगरौली.

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