Singrauli News : जिले में सक्रिय हुआ मानसून,इसबार सिंगरौली में 1.52 लाख हेक्टेयर में की जाएगी खेती  - Nai Samachar

Singrauli News : जिले में सक्रिय हुआ मानसून,इसबार सिंगरौली में 1.52 लाख हेक्टेयर में की जाएगी खेती 

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Singrauli News : जिले में मानसून सक्रिय होने से खरीफ सीजन की बोनी करने के लिए किसान भी तैयारी में जुट गए हैं। वही कृषि विभाग भी खाद, बीज का स्टॉक भरपूर मात्रा में करने में लगा हुआ है, ताकि खेतों में बोनी के लिए किसानों को खाद-बीज की कमी न होने पाए। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि धान, अरहर, मक्का, कोदो, कुटकी, मूंग, उड़द आदि फसलों का अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करना है तो किसान समय पर खेतों की बोनी करें। समय पर बोनी करने के साथ कम से कम मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किए जाने की सलाह किसानों को दी जा रही है। गौरतलब है कि जिले में इस साल खरीफ सीजन के लिए 1 लाख 58 हजार हेक्टेयर जमीन में बोनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

मोटे अनाज को दिया जा रहा बढ़ावा

खरीफ सीजन के समय जिले के ज्यादातर किसान धान की खेती करते थे, लेकिन अब किसानों को मोटे अनाज जैसे मक्का, उड़द, मूंग, अरहर, कोदो-कुटकी आदि फसलों की अधिक बोनी करने की सालाह दी जा रही है। चूंकि मोटे धान की अपेक्षा मोटे अनाज की कीमत अधिक मिलती है इसलिए जिले के किसान भी धीरे-धीरे मोटे अनाजों की बोनी करने के लिए आगे आ रहे हैं। खास बात यह है कि चितरंगी, गढ़वा, सरई, देवसर, माड़ा आदि जगहों की जमीन मोटे अनाज उत्पादन के लिए ठीक मानी जाती है। यही वजह है कि हर साल मोटे अनाज की खेती का रकबा जिले में बढ़ रहा है.

1.52 लाख हेक्टेयर में की जाएगी खेती

जिले में पिछले साल की तुलना में इस साल खरीफ सीजन की बोनी के रकबे में बढ़ोत्तरी की गई है। पिछले साल जहां 1 लाख 48 हजार हेक्टेयर में खरीफ सीजन की फसलों की बोनी की गई थी, वही इस साल बढ़ाकर 1 लाख 52 हजार हेक्टेयर कर दिया गया है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि धान का रकबा 88 हजार हेक्टेयर, मक्का का रकबा 15 हजार हेक्टेयर, कोदो-कुटकी का रकबा 13 हजार हेक्टेयर, तिल का रकबा 14 हजार हेक्टेयर निर्धारित किया गया है। वहीं मूंग, उड़द और अरहर के लिए भी अलग-अलग रकबा निर्धारित किया गया है।

जरुरत के हिसाब से करें उर्वरकों का इस्तेमाल

jile ke कुछ किसान अधिक उत्पादन पाने के लिए खाद और उर्वरकों का अधिक उपयोग करते हैं। उर्वरकों का अधिक उपयोग करने से किसानों को भले ही थोड़ा अधिक उत्पादन कुछ समय के लिए मिल जाता हो लेकिन अधिक उर्वरकों का उपयोग करने से मिट्टी खराब होती है। मिट्टी में जो सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं, उनमें कमी आ जाती है और जमीन धीरे-धीरे बंजर हो जाती है लिहाजा किसानों को सलाह दी जा रही है कि यूरिया, डीएपी सहित अन्य रासायनिक उर्वरकों का उपयोग खेतों में जरुरत के हिसाब से ही करें।

कितनी मात्रा में करें खाद का उपयोग

धान सहित अन्य दलहनी फसलों की खेती करने वाले किसानों को कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सलाह दी गई है। अगर किसान एक एकड़ की जमीन में धान का रोपा लगाना चाहते हैं तो एक एकड़ की जमीन में सौ किलो यूरिया, 1 बोरी डीएपी, 15 किलो पोटाश, 5 किलो जिंक डालने की सलाह दी गई है। दलहनी फसलों की बोनी एक एकड़ जमीन में करनी है तो 30 किलो नाइट्रोजन, एक बोरी डीएपी, 20 किलो पोटास, 5 किलो सल्फर का उपयोग किए जाने की सलाह दी गई है।

इन बातों का किसान रखें ध्यान

जिले के कृषि अधिकारी आशीष पांडेय ने खरीफ सीजन की बोनी करने वाले किसानों को कुछ सलाह दी है। उनका कहना है कि पहली बरसात होने पर किसान खेतों की अच्छे से जुताई करवा लें, खेतों में मौजूद खरपतवार को निकाल दें, अधिक उत्पादन पाने के लिए जल्दी बोनी करें, दलहन तिलहन की फसल ऊंचे स्थान वाले खेतों में करें। बीज के अच्छी किस्म का चयन करें, मिट्टी का परीक्षण कराएं, खेतों में संतुलित उर्वरकों का उपयोग करें, धान की बोनी करने के पहले खेतों में कुछ दिनों तक बरसात के पानी को रोक कर रखें। खेती में आधुनिक तकनीक का उपयोग करें।

खाद-बीज की नहीं होगी कमी

खरीफ सीजन में किसानों को बोनी करने के लिए खाद-बीज की कमी न होने पाए, इसके लिए गत दिनों कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने संबंधित विभागों के अधिकारियों की बैठक लेकर जिले में उपलब्ध स्टॉक की जानकारी ली है। कलेक्टर के निर्देश पर डीएपी और यूरिया खाद और मंगाई जा रही है। जिले में 18 सौ एनपीके कॉम्प्लेक्स, 9 सौ क्विंटल डीएपी, 36 सौ क्विंटल यूरिया का स्टॉक उपलब्ध है। किसानों को खाद- बीज की कमी न हो, इसके लिए कुछ बीज के किट भी मंगाए जा रहे हैं।

इनका कहना है

मानसून सक्रिय हो गया है, खरीफ सीजन की बोनी करने के लिए किसान तैयार रहें। अधिक उत्पादन पाने के लिए किसान समय पर धान, उड़द, मूंग, अरहर, मक्का, कोदो-कुटकी सहित अन्य दलहनी फसलों की बोनी करें। अधिक उत्पादन पाने के लिए खाद का उपयोग खेतों में अधिक न करें। बीज, खाद की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में है।

आशीष पांडेय, कृषि अधिकारी

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