Singrauli NCL News : मोरवा का विस्थापन दो-तीन साल के अन्दर नही हुआ तो एनटीपीसी सिंगरौली थर्मल पावर के लिए दिक्कत हो सकती है। क्योकि जयंत परियोजना के कोयले पर ही एनटीपीसी सिंगरौली निर्भर है। इस लिए विस्थापन की प्रक्रिया तीन साल के अन्दर पूर्ण कर लेनी पड़ेगी।
उक्त बातें सोमवार को एनसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक बी साईराम मीडिया कर्मियों के सवालों का जवाब देते हुये कही। उन्होंने एनसीएल के उपलब्धियों को गिनाते हुये बताया की एनसीएल ने देश की ऊर्जा सुरक्षा में अहम योगदान देते हुए वित्त वर्ष 2024-25 में अपने 135 मिलियन टन के लक्ष्य से अधिक 136.15 मिलियन टन कोयला उत्पादन एवं 137.63 मिलियन टन कोयला प्रेषण डिस्पैच किया है । बीते वर्ष की कंपनी की उपलब्धियों का विस्तार से चर्चा करते हुए साईराम ने बताया कि एनसीएल ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में अधिभार हटाव में अद्वितीय प्रदर्शन करते हुए पहली बार 500 मिलियन क्यूबिक मीटर के आंकड़े को पार किया व 513.6 मिलियन क्यूबिक मीटर अधिभार हटाया है।
इस दौरान एनसीएल के निदेशक कार्मिक मनीष कुमार, निदेशक वित्त रजनीश नारायण, निदेशक तकनीकी-संचालन जितेंद्र मलिक, निदेशक तकनीकी-परियोजना एवं योजना सुनील प्रसाद सिंह भी मौजूद थे। सीएमडी ने आगे बताया कि एनसीएल ने बिजली की बुनियाद की अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन करते हुए बिजली घरों को भारी मात्रा में 122.21 मिलियन टन कोयला प्रेषित किया है। इस दौरान गैर-विनियमित क्षेत्र एनआरएस को भी एनसीएल ने भरपूर मात्रा में कोयला आपूर्ति की है। नेट जीरो एनर्जी कंपनी बनने की दिशा में एनसीएल सौर ऊर्जा प्लांट की स्थापना कर रही है। जिसमें निगाही क्षेत्र में 50 मेगावाट के सोलर प्लांट का संचालन चालू हो गया है।
एनसीएल 250 मेगावाट अतिरिक्त सौर ऊर्जा क्षमता के विकास पर भी तेजी से कार्य कर रही है। एनसीएल में सौर ऊर्जा क्षमता के विकास के लिए एक विशेष सेल का गठन भी किया गया है। उन्होंने बताया कि एनसीएल अपना अधिकतर कोयला पर्यावरण अनुकूल माध्यम से प्रेषित करती है एवं वित्त वर्ष 2023-24 में कुल कोयला प्रेषण का लगभग 84 प्रतिशत कोयला हरित विधियों के माध्यम से उपभोक्ताओं को प्रेषित किया है। उन्होने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि कंपनी के विस्तार के लिए अहम पूंजीगत व्यय के अंतर्गत एनसीएल ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2150 करोड़ रूपये पूंजीगत व्यय के लक्ष्य के सापेक्ष 3748.60 करोड़ रूपये खर्च किया है।
तीन भूमिगत खदानों से कोयला उत्पादन की होगी शुरुआत
उन्होंने कंपनी की अन्य उपलब्धियों एवं भावी योजनाओं पर मीडिया से व्यापक बातचीत की और बताया कि एनसीएल को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 139 मिलियन टन कोयला उत्पादन व प्रेषण के लक्ष्य दिये गए हैं। आगे बताया कि निकट भविष्य में एनसीएल की वर्तमान परियोजनाएं जैसे निगाही, जयंत, ब्लॉक.बी, बीना, ककरी अन्य का विस्तार किया जाएगा, जो नज़दीक़ी बिजली घरों की बढ़ती हुई जरूरत को पूरा करने में सहायक होंगी। साथ ही एनसीएल के मेन बेसिन में स्थित ब्लॉक का डीपीआर तैयार किया जा रहा है एवं आने वाले समय में वहाँ से भी भूमिगत खदानों द्वारा कोयला उत्पादन की शुरुआत होगी।
जयंत खदान पर निर्भर है सिंगरौली का पावर प्लांट
मीडिया कर्मियों के सवालों के जवाब में एनसीएल के सीएमडी बी साईराम ने विस्थापन के मुद्दे पर बताया कि जयंत एवं दुधीचुआ खदान विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। जिसमें स्थानीय लोगों का काफी सहयोग मिल रहा है। पुनर्वास को लेकर जगह का चयन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2 से 3 वर्ष में भूमि अधिग्रहण कर लिया जायेगा। क्योकि ऐसा नही होने पर जयंत खदान के पास दो वर्ष तक कोयला निकालने के लिए भूमि है। यदि दो वर्ष में भूमि अधिग्रहण नही हुआ तो जयंत खदान बंद होने की कगार पर पहुंच जायेगी। सबसे बड़े पावर प्लांट एनटीपीसी शक्तिनगर, जयंत खदान पर पूरी तरह से निर्भर है। जयंत खदान का उत्पादन बंद होने पर बिजली उत्पादन को लेकर एक बहुत बड़ी समस्या हो सकती है।
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