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Singrauli News : सिंगरौली जिले के रहने वाले शिव प्रसाद की गेंदे की खेती से बदल गई दुनिया, जीवन में आया बाहर

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Singrauli News :  मध्यमवर्गीय किसान की जीवनभर कठिन परिश्रम करके ही अपने परिवार का पालन पोषण करने की मजबूरी बनी रहती है। यदि वह पढ़ा लिखा न हो तो फिर उसे पूरे जीवन ही इस प्रकार की दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन बिहरा के रहने वाले किसान शिवप्रसाद शाह ने अपनी कम पढ़ाई लिखाई को आड़े नहीं आने दिया और गेंदा फूल की खेती को परिवार के भरण-पोषण के साथ आय का जरिया बना लिया, वह भी मात्र 20 से 25 डिसमिल में। अपनी सफलता की कहानी को साझा करते हुए किसान शिव प्रसाद बताते है कि 2001 में पढ़ाई छूटी तो वे सीधे खेती किसानी करने लगे। कुछ वर्षों तक उन्होंने परंपरागत फसलें उगाई। इससे वे कठिन परिश्रम के बाद परिवार का पेट ही भर पाए लेकिन बच्चों के पालन पोषण की बढ़ती जिम्मेदारियों ने उन्हें कुछ अलग तरह से कार्य करने पर मजबूर कर दिया। तब तक 7 साल गुजर चुके थे। वर्ष 2008 में वे कृषि विज्ञान केन्द्र आए और वहां पर कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा दी गई जानकारी से बहुत प्रभावित हुए। एक प्रशिक्षण के बाद वे अपने खेतों में मचिग विधि से सिंचाई करते हुए टमाटर की फसल उगाने लगे। एक-दो फसल के उत्पादन और कृषि की नई वैज्ञानिक तकनीकों को जानने के लिए वे कृषि विज्ञान केंद्र देवरा पहुंचते रहे। यहां पर चलने वाले अलग अलग प्रशिक्षण सत्रों में उन्होंने उद्यानिकी विभाग के एक अधिकारी से गेंदा के फूल की खेती के बारे में जानकारी हासिल की। इसके बाद उन्होंने 2016-17 में पहली बार एक एकड़ में टमाटर के साथ-साथ उसके आसपास गेंदे की खेती भी की।

पैदावार बढ़ी, कीट-पतंगों से भी मिली राहत

वे बताते हैं कि टमाटर की फसल के आसपास गेंदे की फसल से टमाटर की पैदावार भी बढ़ी और उसमें लगने वाले कीट-पतंगों से भी राहत मिली। घर के आसपास लगी गेंदे की फसल ने वातावरण में भी ताजगी ला दी। पहली बार जब गेंदे के फूल आने शुरू हुए तो उद्यानिकी विभाग के आरईओ शैलेन्द्र जायसवाल के पास पहुंचे व जानकारी देकर फूलों को बाजार पहुंचाने की तैयारी करने लगे।

हर पांचवें दिन निकलता है 50-60 किग्रा फूल

एक बार गेंदे के पौधे तैयार हुए तो फिर हर चौथे पांचवें दिन 50 से लेकर 80 किग्रा फूल महज 25 डिसमिल एरिया में लगी गेंदे के पौधों से मिलने शुरू हो गये। सामान्य तौर पर उन्हें 40 से 50 रूपये प्रति किग्रा फूल के भाव मिले और विवाह आदि के सीजन में 80 से 100 रूपये प्रति किग्रा तक फूल के दाम मिले तो छह महीने की फसल में उन्हें लागत निकाल कर 50 से 60 हजार रूपये का मुनाफा हुआ। यह उनके लिए किसी करिश्मे से कम नहीं था। जिसके बाद तो शिव प्रसाद ने गेंदें की खेती के लिए अलग से ही 25 से 30 डिसमिल खेत तैयार कर दिया और सालभर में एक लाख रूपये के फूल बेचकर वे समृद्धि और आय को दोगुना करने वाले किसान बनकर युवा किसानों के प्रेरणास्त्रोत बन गये हैं।

उद्यानिकी से क्रय करते 900 रूपये में एक ग्राम बीज

गेंदा की 25 डिसमिल में खेती के लिए उन्नतशील बीजों की उपलब्धता को लेकर उन्होंने बताया कि उद्यानिकी विभाग के पास नारंगी व पीले गेदें के बीज मिल जाते हैं। उन्हें 2 ग्राम बीज की जरूरत होती है। जिसके लिए उन्हें 1800 से 2000 रूपये के बीज, पन्त्री और सिंचाई कुल मिलाकर 3 हजार रूपये की लागत लगानी होती है। कुछ ही दिनों में फूल तैयार हो जाते है और उद्यानिकी से हाइब्रिड बीज मिल जाने से बीज की गुणवत्ता और फूलों की क्वालिटी में असर नहीं पड़ता है। इसलिए वे बाजार से बीजों की खरीदारी नहीं करते हैं।

गेंदे की खेती से बदल गई मेरी दुनिया

शिव प्रसाद फख के साथ कहते है कि कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों की सलाह को शिरोधार्य कर वह आगे बढ़ा। उनकी पत्नी सरिता देवी बेहद खुश हैं, बच्चों की पढ़ाई हो पाई है और वे स्वयं खुटार में जमीन खरीदकर अपनी दुकान चला रहे हैं। टमाटर व अन्य सब्जियों की खेती भी वे करते हैं लेकिन गेंदा फूल की खेती ने उनकी दुनिया ही बदल दी है।

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