Singrauli News : जिले का सहकारिता विभाग अकेले धान, गेहूं की खरीदी ही नहीं करता बल्कि जिले में हुए औद्योगीकरण के बाद उपजे असंतोष को रोकने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है। उद्योग स्थापित किए जाने के लिए। जिन लोगों की जमीनें अधिग्रहीत की गई हैं, सहकारिता विभाग उनको रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहा है। सिंगरौली जिले का सहकारिता विभाग पूरे देश में इकलौता ऐसा विभाग है जो जिले के दस हजार विस्थापितों को रोजगार उपलब्ध करा रहा है। जिले की जबसे स्थापना हुई है, तभी से लेकर अब तक सहकारिता के माध्यम से विस्थापितों को जोड़कर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। आज मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर सहकारिता को और मजबूत बनाने के लिए प्रयास किये करने की आवश्यकता है।
जिले मे हैं साढ़े तीन सौ समितियां
जिले के सहकारिता विभाग में वैसे तो एक हजार से अधिक समितियां पंजीकृत हैं लेकिन विस्थापन से संबंधित साढ़े तीन सौ समितियां रजिस्टर्ड हैं। पंजीकृत समितियों के माध्यम से जिले के विस्थापित हुए लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। समितियों के माध्यम से सहकारिता विभाग में नवाचार की शुरुआत भी की गई है। जिसकी दिल्ली से लेकर भोपाल तक में सराहना की जा रही है। समितियों के माध्यम से रोजगार मिलने से जिले के विस्थापित लोग भी खुश हैं। अधिक से अधिक विस्थापितों को समितियों के जरिए रोजगार मिले, इसके लिए सहकारिता विभाग प्रयास कर रहा है।
ऐसे दिलाया जाता है रोजगार
विस्थापित हुए लोगों की अलग-अलग समितियां बनाकर उन्हीं कंपनियों में काम दिलाया जाता है जिन कंपनियों की स्थापना के लिए विस्थापितों ने अपनी जमीनें दी हैं। चूंकि जिला प्रशासन और सहकारिता विभाग के अधिकारी कंपनियों में सीधे संपर्क में रहते हैं, लिहाजा कंपनियों में सुरक्षा गार्ड, हाउस कीपिंग, साफ-सफाई, लिफ्ट ऑपरेटर, रेलवे ट्रैक की देखरेख, सिविल वर्क, लेबर सप्लाई सहित अन्य कामों के लिए विस्थापित समितियों को काम दिलाया जाता है ताकि विस्थापितों को रोजगार मिलता रहे।
कोयला चोरी में आई कमी
एनसीएल के द्वारा एनटीपीसी थर्मल पावार के लिए रेल मार्ग से कोयले का परिवहन किया जाता है। रेल मार्ग से कोयला परिवहन होने से कोयले की चोरियां बहुत होती थीं, लिहाजा जिला प्रशासन और एनसीएल प्रबंधन ने सकारात्मक पहल करते रेल मार्ग सुरक्षा की जिम्मेदारी समितियों को हुए रेल की सौंपी तो रेल मार्ग से जो कोयला चोरी होता था, उसमें कमी आई है। सहकारिता विभाग के उपायुक्त पीके मिश्रा ने बताया कि एनसीएल, एनटीपीसी सहित अन्य निजी कंपनियों में विस्थापितों को समितियों के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने के लिए नए-नए अवसरों की तलाश की जाती है।
सहकारिता की अवधारणा हो रही सही साबित
सहकारिता की स्थापना इसी मकसद से की गई थी कि सहकारिता के माध्यम से लोगों को रोजगार से अवसर उपलब्ध कराए जाएं और लोगों को रोजगार से जोड़ा जाए। जिले में सहकारिता की मूल अवधारणा सही साबित हो रही है। कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला भी सहकारिता व समितियों को लेकर गंभीर है। यही वजह है कि जिले में जो भी कंपनियां और एजेंसियां काम करने के लिए आती हैं, सबसे पहले उसमें सहकारिता समितियों को काम दिलाने का प्रयास किया जाता है ताकि विस्थापितों को रोजगार से जोड़ा जा सके।
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