Singrauli News : अतिथि शिक्षकों के सहारे संवर रहा 114 सरकारी विद्यालयों के बच्चों का भविष्य - Nai Samachar

Singrauli News : अतिथि शिक्षकों के सहारे संवर रहा 114 सरकारी विद्यालयों के बच्चों का भविष्य

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Singrauli News : नई शिक्षा नीति के तहत शैक्षणिक गतिविधियों में परिवर्तन लाने का ढिंढोरा खूब पीटा जा रहा है लेकिन आज भी जिले के 114 शासकीय विद्यालय शून्य शिक्षकीय हैं। इन स्कूलों के बच्चों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी अतिथि शिक्षकों को सौंपी जाने वाली है। चूंकि नये सत्र में अतिथि शिक्षकों की अभी पदस्थापना नहीं हुई है इसलिए शून्य शिक्षकीय स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई कैसे हो रही होगी? अंदाजा लगाया जा सकता है। एक ओर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों का टोटा है, उधर नगरीय क्षेत्र के विद्यालयों में जरूरत से ज्यादा शिक्षक-शिक्षिकायें पदस्थ हैं।

अतिशेष शिक्षकों को रिक्त पद वाले विद्यालयों में स्थानांतरण करने का आदेश शासन द्वारा आया था लेकिन अतिशेष की कार्यवाही शुरू नहीं की गई। स्कूलों में बच्चे न होने के कारण शिक्षक व शिक्षिकायें स्टॉफ रूम में बैठकर आराम फरमाते मिल जाते हैं लेकिन राजनीतिक पहुंच वाले इन शिक्षकों के ऊपर हाथ डालना ही कोई नहीं चाहता है।

सैकड़ों शिक्षकों की है अभी जरूरत

जिले में 4540 शिक्षकों का पद स्वीकृत हैं। उसमें 3376 शिक्षक पदस्थ हैं। 1164 शिक्षकों की और जरूरत है। माध्यमिक के 962 शिक्षक पदस्थ हैं। 1775 पद अब भी रिक्त हैं। उच्चतर माध्यमिक के 291 शिक्षक कार्यरत हैं। 594 का पद रिक्त है। इन शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए अतिथि शिक्षकों को रखा जाता है। जिन्हें कम मानदेय दिया जाता है। जिसके कारण वह बच्चों को मन लगाकर पढ़ाते भी नहीं हैं।

95 शिक्षक हो गये हैं पदोन्नत

इस समय शिक्षा विभाग में उच्च प्रभार देने की कार्रवाई चल रही है। इसमें 95 लोगों को प्राथमिक से माध्यमिक, माध्यमिक से उच्च माध्यमिक व प्राचार्य का प्रभार दिया गया है। जिसमें 79 लोगों को लेक्चरर व 14 हाईस्कूल के प्राचार्य मनोनीत किया गया है। इस उच्च प्रभार की कार्यवाही होने से शिक्षकों की और कमी हो गई है। इनके बदले भी अब अतिथि शिक्षक रखने पड़ेंगे।

स्थानांतरण नीति में बदलाव की जरूरत

नई स्थानांतरण नीति का सबसे ज्यादा लाभ नई पदस्थापना वाले शिक्षक उठा रहे हैं। वह सिंगरौली जिले में नौकरी ज्वाइन तो करते हैं लेकिन जैसे ही स्थानांतरण की कार्रवाई शुरू होती है, वह दूसरे जिलों में चले जाते हैं, इसलिए स्थानांतरण नीति में सुधार किया जाये। नये शिक्षकों को एक जिले में कम से 7 साल अध्यापन कार्य करने के लिए अनिवार्य किया जाये।

नहीं हुई अतिथि शिक्षकों की पदस्थापना

नये शिक्षा सत्र शुरू हुए कई माह गुजर गये लेकिन अभी तक अतिथि शिक्षकों की पदस्थापना की कार्रवाई तक शुरू नहीं हुई। शासन के निर्देश पर 1 अगस्त से पुराने अतिथि शिक्षकों को रखने की प्रक्रिया शुरू होगी। यदि पुराने अतिथि शिक्षक पढ़ाने के लिए आवेदन नहीं करते हैं तो उनके स्थान पर नये अतिथि शिक्षकों को रखने की कार्रवाई शुरू की जानी है। यदि यही प्रक्रिया स्कूल खुलने के समय पर शुरू हो जाती तो बच्चे पढ़ाई तो करते।

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