Singrauli News : कभी कोचिंग फीस के थे लाले, आज तीनों बेटे विश्व की टॉप कंपनियों में हैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर

By Nai Samachar

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Singrauli News : हालात कैसे भी हों, यदि इंसान में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो पूरी कायनात उसे उसके लक्ष्य तक पहुंचाने में जुट जाती है। ऐसे ही एक सफल इंसान हैं सुशील कुमार अग्रवाल, जिनके तीनों पुत्रों ने कठिन संघर्ष करके आईआईटीयन बनने का गौरव हासिल किया। वर्तमान समय में तीनों विश्व की टॉप कंपनियों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनकर माता-पिता और समाज को गौरवान्वित कर रहे हैं। सिंगरौली यानी मोरवा के वार्ड-8 में रहने वाले सुशील अग्रवाल व उनकी धर्मपत्नी संगीता अग्रवाल एक सामान्य व्यावसायिक परिवार से हैं। उनका पूरा परिवार अनपरा में रहता है। 1986 में पॉलीटेक्निक करने के बाद सुशील अग्रवाल अपना पारिवारिक व्यवसाय संभालने लगे और बड़े भाई के साथ कपड़े की दुकान में हाथ बंटाने लगे। जिसके बाद 1990 में इनका विवाह हुआ और एक-दो साल में बंटवारा हो गया।

सुशील के हिस्से दो कमरे आए और उसी में उनको रहकर कुछ करना था। अनपरा जैसे छोटे बाजार में उन्हें कुछ करना था। इसी बीच उन्हें एक कारपेंटर मित्र मिले तो उन्होंने सुझाया कि क्यों न फर्नीचर की दुकान खोल ली जाए। छोटी सी पूंजी के मुताबिक सुशील ने हिम्मत जुटायी और दो बच्चों को पालते-पौषते 2005 में सुशील फर्नीचर के नाम से दुकान खोल ली। तीन बच्चों में अतुल अग्रवाल सबसे बड़ा था जो तब 8वीं में पढ़ रहा था। उससे छोटा निखिल अग्रवाल व फिर राजिल कंसल है।

फीस नहीं भर पाए तीनों होनहार बच्चों की मां संगीता अबवाल बताती है कि अतुल अपने पापा की दुकान पर बैठकर पढ़ता था। 10वीं के बाद उसने इंजीनियरिंग करने का मन मनाया और स्कूल में स्थानीय कोचिंग संस्थान के संचालकों ने उसका टेस्ट लिया और फिर कोचिंग में आने के लिए ऑफर दिया, लेकिन कोचिंग के लिए लगने वाली फीस नहीं भर पाने की स्थिति थी। उसने घर में ही रहकर पढ़ाई की और जेईई की परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 104 हासिल की। 2009 में आईआईटी कानपुर में कम्प्यूटर साइंस विधा में प्रवेश लिया। शासकीय संस्थान होने के कारण उन्हें स्कॉलरशिप मिली और चार वर्ष वा अध्ययन पूरा हो गया। कॉलेज से ही उनयको गूगल ने साफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में नौकरी दी। आज अतुल एक करोड़ रूपये प्रतिवर्ष से भी अधिक के पैकेज पर बेंगलुरू में कार्यरत हैं।

बड़े भाई के नक्शेकदम पर चला निखिल

अतुल से दो वर्ष छोटा निखिल भी पढ़ने में मन लगा रहा था और अपने बड़े भाई के नक्शेकदम पर चलकर इंजीनियर बनने का लक्ष्य तय किया। निखिल को मम्मी-पापा के साथ बड़े भाई का भी सपोर्ट मिल रहा था। अंततः 2011 में निखिल ने जेईई की ऑल इंडिया रैंक अतुल 729वीं हासिल कर परीक्षा पास की और अपने पसंद के विषय कम्प्यूटर साइंस में आईआईटी खड़गपुर में प्रवेश पा लिया। निखिल ने भी मेहनत की और स्कॉलरशिप हासिल कर ली। इधर पिता सुशील ने अपनी रिहायश सिंगरौली में करने का प्रयास किया और 2012 में अपने परिवार के साथ मोरवा में शिफ्ट हो गये। वहां से छोटे बेटे राजिल की पढ़ाई शुरू हुई।

तीनों भाई बेंगलुरू में जॉब कर रहे

मौजूदा समय में तीनों भाई बेंगलुरू में में जॉब कर रहे हैं। अतुल अग्रवाल की पत्नी हर्षिका अग्रवाल भी एक साफ्टवेयर इंजीनियर हैं। अतुल ने पहले माइ‌क्रोसाफ्ट में 5 साल अमेरिका में जॉब किया। अब अपने देश आकर गूगल ज्वाइन कर बेंगलुरू में रह रहे हैं। दूसरे नंबर पर निखिल अपनी साफ्टवेयर इंजीनियर पत्नी हिमांशी पटेल के साथ 2018 से फ्लिपकार्ट में कार्यरत हैं। खड़गपुर से 2021 में अमेजन ज्वाइन करने के बाद छोटे राजिल कंसल ने वर्तमान में रिपलिंग कंपनी में कार्य शुरू किया है। तीनों भाई विश्व की नामी-गिरामी कंपनियों में ऊंचे वेतन पर पवस्थ हैं।

वर्ष 2017 में राजिल ने आईआईटी भुवनेश्वर में पाया प्रवेश

सुशील के तीसरे पुत्र राजिल केसल को अपने भाइयों के आईआईटीयन होने का माहौल मिला। वे जॉब में भी आ गये थे और पापा की अनपरा में दुकान भी ठीक-ठाक चल रही थी। राजिल को भी आईआईटी में ही प्रवेत पाने का जुजून हुआ। उसने 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद इंट्रेंस एग्जाम दिया और ऑल इंडिया रैंक 3627 के साथ 2017 में आईआईटी भुवनेश्वर में प्रवेश पा लिया। राजिल ने इलेक्ट्रिकल विधा को चुना। राजिल ने भाइ‌यों के अपोर्ट से अपनी पढ़ाई पूरी कर 2021 में जॉब शुरू कर दी।

हमें घर में पांच इंजीनियर होने का फक्र

सुशील अग्रवाल और उनकी पत्नी संगीता अग्रवाल ने अपने संघर्ष के दिनों को भूल कर कहाकि अब उन्हें फख है कि उनके तीनों बच्चे और दोनों बहुएं भी इंजीनियर हैं। यानि कि परिवार में अब पांच इंजीनियर हैं। आने वाले दिनों में तीसरी बहू भी इंजीनियर ही होगी। संगीता अग्रवाल कहती हैं कि उनके पति ने भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की लेकिन नौकरी नहीं की। अब उनके बच्चों ने उनके सपने को पूरा किया है। किसी परिवार में एक साथ मिलकर चलने और अपने-अपने लक्ष्य को पूरा करने का जुनून होना चाहिए तभी कुछ संभव हो पाता है। वास्तव में सुशील अग्रवाल के बच्चे आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

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