Shantanu Prakash Real Story :  1 लाख रुपए महीना की नौकरी छोड़कर शुरू किया बिजनेस, आज बन गई सिंगरौली,सीधी, रीवा, सतना,सोनभद्र की इकलौती कंपनी  - Nai Samachar

Shantanu Prakash Real Story :  1 लाख रुपए महीना की नौकरी छोड़कर शुरू किया बिजनेस, आज बन गई सिंगरौली,सीधी, रीवा, सतना,सोनभद्र की इकलौती कंपनी 

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Shantanu Prakash Real Story : एक समय था, जब एनसीएल के एचईएमएम डांपरों के टायर का पंचर बनाने की सुविधा तक सिंगरौली परिक्षेत्र में नहीं हुआ करती थी। इसके लिए बनारस या जिले के बाहर अन्य शहरों पर निर्भर रहना पड़ता था। जबकि आज की तरह पहले भी सिंगरौली देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाता था। करीब 8 वर्ष पहले बलियारी  औद्योगिक क्षेत्र में एक युवा ने पंचर बनाने का काम शुरू किया था। इसके बाद से सिंगरौली जिले में कई वर्कशॉप खोले गए कोई हौज पाइप बनाने लगा तो किसी ने वर्कशॉप खोल दिया। अभी तक ट्रक व हाइवा लेने के बाद चेसिस निर्माण के लिये जबलपुर, बिलासपुर या ग्वालियर भेजना पड़ता था। अब हालत बदल रहे हैं क्योंकि सिंगरौली के होनहार युवा खुद सिंगरौली की तस्वीर बदलने का नवाचार कर रहे हैं।

ऐसा ही एक नवाचार 32 वर्षीय युवा मैकेनिकल इंजीनियर शांतनु प्रकाश (Mechanical Engineer Shantanu Prakash) ने शुरू किया है। इसके लिये उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और बलियरी उद्योग क्षेत्र में हाइवा, ट्रेलर की चेसिस बना रहे हैं। यह कंपनी न सिर्फ सिंगरौली बल्कि सीधी, रीवा, सतना और सोनभद्र सहित करीब 400 किमी के एरिया में इकलौती कंपनी बन गयी है।

शांतनु की फैमिली और शिक्षा

शांतनु के पिता एनसीएल से रिटायर हैं। शांतनु की स्कूल की पढ़ाई दसवीं तक जयंत की ज्योति स्कूल (Jyoti School Jayant) और शेष आगे की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय सीडब्ल्यूएस जयंत (Kendriya Vidyalaya CWS Jayant) से हुई। इसके बाद उन्होंने भोपाल से 2014 में बीटेक मैकेनिकल की पढ़ाई पूरी कर जॉब शुरू की। शांतनु बताते हैं कि उनके इस स्टार्टअप में उनके पिता सुधीर कुमार वर्मा, मां, पत्नी मेघा और छोटे भाई सहित पूरे परिवार का अच्छा सपोर्ट रहा।

किन वाहनों की चेसिस का किया जाता है निर्माण

शांतनु बताते हैं कि उन्होंने जिला मुख्यालय वैढ़न के बलियरी स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में विंध्या मेटल प्रा. लि. (Vindhya Metals Pvt Ltd) नाम से अपनी कंपनी वर्ष 2023 में ही शुरू कर दी थी, जो कि भारत सरकार के अंतर्राष्ट्रीय ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी केंद्र से भी सर्टीफाइड है। उनकी कंपनी में हाइवा, ट्रेलर, ट्रक जैसे वाहनों की चेसिस, ट्राला का निर्माण किया जाता है।

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इसमें रॉक बाडी ट्रिपर, वाटर टैंकर, फ्लैट बेड ट्रेलर, ट्रिपर ट्रेलर, साइड वॉल ट्रेलर और स्केलिटन ट्रेलर जैसे वाहन के हिस्से शामिल हैं। अब तक में उनकी कंपनी को 12-13 वाहनों की चेसिस बनने का ऑर्डर मिला था, जिन्हें हैंडओवर कर दिया गया है। क्षेत्र के लोगों को होगी काफी सुविधा शांतनु कहते हैं कि अपने सिंगरौली, सोनभद्र और सीधी में ही हजारों की संख्या में हाइवा, ट्रेलर, ट्रक जैसे वाहनों का काफी उपयोग किया जाता है। ऐसे वाहनों की बॉडी बनवाने के लिए लोगों को हमेशा से जबलपुर, ग्वालियर से लेकर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से लेकर जैसे दूरस्थ क्षेत्रों पर निर्भर रहना पड़ता था, क्योंकि न लोकल में और न ही आसपास ऐसे हैवी वाहनों की चेसिस आदि बनाने की सुविधा है। दूरस्थ स्थ क्षेत्र में कार्य कराने से उससे जुड़ी शिकायत को दूर कराने के लिए भी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है या फिर अनट्रेंड गैरेजों में वाहनों की रिपेयरिंग का रिस्क लेना पड़ता है। ऐसे में उनकी कंपनी ने सिंगरौली सहित आसपास क्षेत्र की इस जरूरत को पूरा करने से यहां के ट्रांसपोर्टर्स को क्षेत्र में ही अच्छी सुविधा मिल सकेगी।

कॉलेज समय का सपना हुआ पूरा

शांतनु बताते हैं मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौराना उन्होंने यह सपना देखा था कि वह मैन्युफैक्चरिंग में कुछ नया करें। पढ़ाई के बाद जब जॉब कर रहे थे तो भी मैन्युफैक्चरिंग फील्ड में कुछ करने के सपने को पूरा करने के लिए मार्केट एनालिसिस से लेकर अन्य तमाम प्रकार की रिसर्च भी करते रहते थे। उन्होंने काफी सोच-समझकर इस कंपनी को सिंगरौली में ही शुरू करने का फैसला किया, क्योंकि यहां इसकी जरूरत है।

MSME से लोन लेकर करीब 10 करोड़ रुपये किया इन्वेस्ट

इस कंपनी को शुरू करने के लिए शांतनु ने करीब 8 से 10 करोड़ रुपए इन्वेस्ट किया है लेकिन इतने बड़े इन्वेस्टमेंट की राशि खुद करना संभव नहीं था इसलिए उन्होंने एमएसएमई स्कीम के तहत बैंक से लोन लिया है। इससे करोड़ों का फंड तो मशीनरी की खरीदी में लग गया और इंड्रस्ट्रियल एरिया में जमीन लीज पर लेने से लेकर अन्य तमाम प्रकार निर्माण आदि कार्यों में भी काफी खर्चे होते हैं। वर्कशॉप में करीब बीस लोगों का स्टाफ है जिन्हें हर माह करीब 4-5 लाख वेतन देते हैं।

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