Santosh Shukla Math Teacher : शिक्षा को लेकर जागरूकता जितनी तेजी से बढ़ रही है, प्रतिस्पर्धा उतनी ही कठिन होती जा रही है। ऐसे में हर विद्यार्थी ऐसे शिक्षक की तलाश में रहता है जो सरल तरीके से उसे कठिन विषय पढ़ा सके। सबसे ज्यादा परेशानी आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को होती है, जिनके पास शासकीय स्कूल की शिक्षा के अलावा अन्य बेहतर विकल्प नहीं रहते। ऐसे बच्चों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी शाउमावि देवसर कन्या में पदस्थ गणित के शिक्षक संतोष शुक्ला संभाल रखी है। वह स्कूल में क्लास लेने, प्रशिक्षण देने के बाद शेष बचे समय में मैथ के सवालों को सरल तरीके से हल करने की विधि अपने यू ट्यूब चैनल पर बताते हैं। इसके लिए इन्होंने बाकायदा अपने घर पर स्टूडियो बना रखा है। अब तक उनके व्यूअर्स साढ़े तीन करोड़ तक पहुंच गये है। जिसकी गूंज डीपीआई तक जा पहुंची है। लोक शिक्षण संचालनालय अब उनकी क्लिपिंग मांग रहा है ताकि, उन्हें प्रदेश के सभी विद्यालयों में उसके माध्यम से मैथ पढ़ायी जा सके।
पढ़ाने व ट्रेनिंग देने का है शौक
भोपाल संभाग में नई शिक्षा नीति पर जिला स्तरीय मास्टर ट्रेनरों को पांच दिवसीय प्रशिक्षण देकर पहुंचे संतोष शुक्ला ने बताया कि उनका पढ़ाना व ट्रेनिंग देना उनका शौक है। पढ़ाने में उत्कृष्ट होने के कारण लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा शिक्षकीय कार्य के साथ ही मास्टर ट्रेनर और जिला स्तरीय कैरियर काउंसलर की भी जिम्मेदारी दे रखी है। पढ़ाने का शौक होने के कारण ही दोनो कार्य में संजीदगी के साथ निभा लेता हूं। ट्रेनिंग के बाद जैसे ही विद्यालय जाता हूँ अपने पीरियड के अलावा अन्य शिक्षकों के खाली पीरियड का उपयोग छूटे सेलेबस को पूरा कराने में करता हूँ। जिसका परिणाम है कि हमारे विद्यालय के बच्चे मैथ में अच्छे नंबरों से हर साल उत्तीर्ण होते हैं।
दो सौ वीडियो चल रहे यू ट्यूब पर
संतोष शुक्ला ने बताया कि उनके मैथ पढ़ाने के सरल तरीके से प्रभावित होकर स्मार्ट क्लास में पढ़ाने के लिए भी ऑफर दिया गया था। लेकिन देवसर दूर होने के कारण मैंने अपने स्टूडियो से पढ़ने का आग्रह किया था लेकिन विभाग ने उसे नहीं माना। चूंकि शासकीय स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चे पढ़ते हैं इसलिए उनके भविष्य को संवारने के लिए अब तक 200 वीडियो बना चुका हूं।
10वीं व 12वीं में टॉपर
देवसर के खरौड़ा ग्राम निवासी संतोष शुक्ला बताते हैं कि उनके पिता भी प्राथमिक शिक्षक थे। उन्होंने स्कूलिंग गांव से की थी। 10वीं व 12वीं में सीधी क्रमांक-1 से किया। दोनो परीक्षाओं में संतोष शुक्ला ने जिले में टॉप किया था। मेधावी होने के कारण ग्रामीण प्रतिभावान छात्रवृत्ति का लाभ हमेशा मिला। इसके बाद साइंस कॉलेज रीवा से बीएससी व मैथ से एमएससी की। एमपीपीएससी क्रेक करना चाहता था लेकिन उस समय कई साल से परीक्षा नहीं हो रही थी। तभी वर्ग-2 शिक्षक की भर्ती निकली। हमने एग्जाम दिया, जिसमें हो गया। माध्यमिक शिक्षक के रूप में पहली नियुक्ति हमें चितरंगी के देवरी शासकीय स्कूल में मिली। तभी 2006 में उत्कृष्ट विद्यालय योजना आई। एग्जाम में बैठा, चयन सूची में पहला नाम मेरा था। कुछ दिनों बाद मॉडल स्कूल योजना आई। उसके साथ ही मेरा प्रमेोशन उच्चतर माध्यमिक शिक्षक के रूप में हो गया। फिर मॉडल स्कूल योजना आई, उसमें भी मेरा चयन हो गया। देवसर में पदस्थापना मिल गई, तब से सेवा यहीं पर शिक्षण कार्य कर रहा हूँ।
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