Singrauli News : अधूरा बनाकर छोड़ा चटका पुल, जंग खा रही प्रि-कास्ट की सरिया - Nai Samachar

Singrauli News : अधूरा बनाकर छोड़ा चटका पुल, जंग खा रही प्रि-कास्ट की सरिया

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Singrauli News : इस बारिश में ही मोरवा अनपरा के बीच बने चटका पुल का निर्माण पूर्ण नहीं हो पाया है। पुराने पुल पर गड्ढे बने हुए हैं और बारिश का पानी भरा रहने से गड्डों की गहरायी का अंदाजा भी नहीं हो पाता है। दुर्घटनाओं की आशंका चारिश में बढ़ जाती है, इसके बावजूद एनएचएआई और एमपीआरडीसी इस मार्ग का उपयोग करने वाले लोगों को खतरे में डालने से बज नहीं आ रहे रहे हैं। मार्च के महीने में जिस तरह से चटका पुल में गार्ड रखने का कार्य शुरू किया गया था, यह भी कहा गया था कि बस अगले महीने पुल को दोनों ओर से जोड़कर चालू कर दिया गया था। यह ठीक वैसा ही था जैसे कि 24 मई 2011 को सीधी सिंगरौली के बीच 105 किमी की फोरलेन 24 महीने में तैयार कर दी जावेगी।

दूसरा पहलू यह है कि 2018 में चटका पुल के पिलर और गर्डर बनाकर छोड़ गयी गैमन इंडिया की सबलेट कंपनी टेक्नो यूनिक के चार गर्डर रिजेक्ट हो गये। वजह लगभग 6 से 7 वर्षों तक वे खुले में पड़े रहे और उनकी स्ट्रेंथ की जांच की गई तो वे मानकों पर खरे नहीं उतर पाए। वे गढेर किनारे करा दिए गये उसके स्थान पर वाहीं पर नये गार्डर तैयार किए गये और क्यूरिंग के बाद उन्हें पिलर पर रखा जाना था लेकिन आधे गर्डर रखने के बाद ही उपयोग में लागी जा रही क्रेन को दूसरी साइट (जानकारी के मुताबिक कोहरा खोह) की ओर मूव करा दिया गया। जिसके बाद न तो क्रेन लौटी और न गर्डर ही रखे जा सके हैं.

खुली हवा में झूल रहा सरिया का बंच

सवाल यह उठाया यहा रहा है कि जिस प्रकार आधे पुल में गडर रख दिए गये हैं और ऊपर से डलाई करके प्लास्टर नहीं किया गया है तो दी गर्डर के बीच छूटे हुए गैप में सरिया का बंच खुली हवा में झूल रहा है। ऊपर से नीचे का हिस्सा साफ दिखाई दे रहा है तो यह कब तक ऐसे रखा जा सकता है। क्या इनकी स्ट्रेंथ में कमी नहीं आ जायेगी, यदि कभी आयेगी तो क्या इन्हें तोड़कर निकाला जायेगा और दूसरा गर्डर डाला जायेगा? आम लोगों के बीच भी कुछ ऐसे सवाल उठ रहे हैं। जिसे एनएचएआई और एमपीआरडीसी के इंजीनियर यह समझते हैं कि ये बारीकियां सिर्फ वे ही जानते हैं।

कई बार लगता रहता है जाम

पुल पर वर गड्ढे गड़े और कीचड़ होने, दोनों तरफ से किनारे कटे होने के कारण पुराने पुल पर एक तरफ वाहन रूकते हैं, तो दूसरी तरफ के चाहने पुल पार करते हैं। कई बार सुरक्षा के कारण तो कई बार अव्यवस्था के कारण जाम की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं। दर्जन भर से अधिक शिफ्ट बसें और कई दर्जन स्कूल व यूपी रोडवेज की बसे इस पुल से निकलती हैं। इससे लांग व्हीकल और लोड हाइवा भी निकलते हैं। यदि किसी भी प्रकार की दुर्घटना हुई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? इसलिये एमपीआरडीसी को सुनिश्चित कर लेना होगा।

मुक्तिधाम में लगा हाईमास्ट ही जला देते

एनएच के द्वारा को इस फोरलेन पर चलने वालों को सुरक्षा की परवाह नहीं की जा रही है। ननि के द्वारा मुक्तिधाम में हाईमास्ट लाइट लगाई गयी है। यदि इसे ही जला दिया जाए तो पुल पर पर्याप्त रोशनी हो जाती है। यहां से आने-जाने वाले लोग स्वयं को सुरक्षित महसूस करते हैं। नगर निगम मोरवा जोन के प्रभारी व इलेक्ट्रिकल विभाग के कर्मचारियों को आम लोगों को सुरक्षा को ध्यान में रखकर इस हाईमास्ट लाइट की मरम्मत कर चालू करनी चाहिए।

संकेतक हैं न बैरिकेड्स

बार-बार चेताने के बावजूद एनएच-39 के पुलों और गहरी खुदाई वाले स्थानों, मार्ग परिवर्तन वाले स्थानों पर संकेतक और पुलों पर बैरिकेट्स नहीं लगाए जा रहे हैं। कई बार ओवरलुक होने अथवा बारिश के दौरान वाहनों के निकलने पर किनारों का अंदाजा नहीं हो पाता है। आम लोगों की सुरक्षा, वाहन दुर्घटनाओं को संकेतक और बैरिकेड्स लगाकर टाला जा सकता है। इसमें चटका पुल के दोनो ओर खतरा बना हुआ है। दोनो छोर में पुराने पुल को सड़क से जोड़े रखने के लिए मरम्मत भी करनी पड़ सकती है.

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