Prayagraj-Singrauli Highway प्र: स्तावित प्रयागराज-सिंगरौली हाइवे के लिए अधिग्रहीत की जाने वाली जमीन में बेजा मकानों का निर्माण होने पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नाराजगी जाहिर की है। बताया जा रहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा शुरु किए जाने वाले राजस्व महाअभियान की तैयारियों की समीक्षा मुख्यमंत्री वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कर रहे थे। सिंगरौली जिले का जब नंबर आया तो मुख्यमंत्री ने सबसे पहले प्रस्तावित प्रयागराज-सिंगरौली हाइवे पर मुआवजे के लिए बनाए गए बेजा मकानों की जानकारी लेते हुए कलेक्टर को निर्देश दिए कि निर्धारित समय के किसी को भी मुआवजे का लाभ न दिया जाये। वहीं अवैध रुप से जो मकान बनाए गए हैं, उनको तोड़ने का काम शुरु किया जाए।
गौरतलब है कि मुआवजे की लालच में सिंगरौली-प्रयागराज प्रस्तावित हाइवे पर बनाए गए. इसके पहले भी ललितपुर सिंगरौली प्रस्तावित रेल लाइन में मुआवजे के लिए हजारों मकान बनाई गई थी। जब ये खबर पता चला था तो सीएम ने संज्ञान में लिया और संभागायुक्त रीवा के नेतृत्व में एक जांच टीम गठित कर पूरे मामले की जांच करायी थी। हालांकि जांच रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की गई है।
अधिकारियों की लापरवाही से बने मकान
प्रस्तावित प्रयागराज हाइवे की जमीन पर जो बेजा मकान बनाए गए हैं, उसके पीछे जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। चितरंगी तहसील में पदस्थ जिन कर्मचारियों को लोकायुक्त ने रिश्वत लेते पकड़ा था, उन्ही कर्मचारियों को भू-अर्जन के काम में लगाया गया था। वही जिस लिपिक ने ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन के मुआवे में जमकर घोटाला किया था उसी लिपिक को देवसर से हटाकर दुधमनिया तहसील में पदस्थ कर दिया गया। जबकि अधिकारियों को पता है कि दुधमनिया में हाइवे निर्माण के लिए भू-अर्जन किया जाना है।