Singrauli News : एक समय वह था जब अधिकारियों व कर्मियों का थोक तबादला सरकार द्वारा किया जाता था। प्रदेश स्तर पर एक नीति के तहत तबादला होने पर पक्ष और विपक्ष द्वारा खासा हंगामा किया जाता था। प्रदेश स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला भले ही न हो रहा हो लेकिन सिंगरौली के पुलिस महकमे में इन दिनों तबादला उद्योग खूब फलफूल रहा है। पिछले एक माह के दौरान थाना व चौकी प्रभारी से
लेकर एएसआई, प्रधान आरक्षक और आरक्षकों का बड़े पैमाने पर तबादला किया गया है। अधिकारियों द्वारा किए गए तबादले से जहां कुछ थाना प्रभारी नाराज हैं, वहीं जमीनी स्टॉफ भयभीत है। तबादले को लेकर जनप्रतिनिधि नाराजगी जाहिर कर चुके हैं मगर किसी न किसी का तबादला आए दिन हो रहा है। हाल में किए गए तबादले में वर्षों से एक ही थाने में जमे कुछ कारखास पुलिसकर्मियों को हटाया गया। जिससे पुलिस पर यह आरोप न लगे कि इनका तबादला नहीं किया जाता।
छह महीने रहना पड़ रहा मुश्किल
जिले व जोन में जब से नए पुलिस अधिकारी आए हैं सिर्फ तबादले पर फोकस किए हुए हैं। जिन थाना, चौकी प्रभारियों का 6 महीने पहले तबादला किया गया था उन्हें फिर से दूसरी जगहों पर भेज दिया गया। 6 माह के अंदर तबादले से पुलिस अधिकारी भी नाराज हैं लेकिन अनुशासन में बंधे होने से पीड़ा भी व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं। दो दिन पहले जिन चौकी प्रभारियों का तबादला किया गया वे समझ नहीं पा रहे हैं कि ड्यूटी में गलती नहीं हुई फिर किस कारण उनका तबादला कर दिया गया। तबादला करना वरिष्ठ अधिकारियों का विशेषाधिकार है, लेकिन छह माह में ही तबादला करना कितना सही है।
चोरियों पर नहीं है ध्यान
पिछले दो महीनों के दौरान जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में दो दर्जन से अधिक छोटी-बड़ी चोरियां हो चुकी हैं। बढ़ती चोरियों के चलते देवसर, बरगवां, सरई, माड़ा आदि क्षेत्र के लोग रतजगा करने को मजबूर हैं। दो दर्जन से अधिक हुई चोरियों का खुलासा करने में जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का ध्यान नहीं है बल्कि अधिकारी पूरा ध्यान तबादला उद्योग में लगाए हुए हैं। सूत्रों की मानें तो आए दिन पुलिस अधिकारियों और चौकी प्रभारियों का तबादला किए जाने के पीछे कोई न कोई राज जरुर है अन्यथा इतने तबादले जिले में कभी नहीं हुए, जितने पिछले एक माह के दौरान किए गए हैं।
चहेतों को उपकृत करने नियम रखे ताक पर
अपने चहेते पुलिस कर्मियों को मनपसंद जगह पर पदस्थ करने के लिए जिले के पुलिस अधिकारी पुलिस मुख्यालय के आदेश व नियम को ताक पर रख रहे हैं। एक माह पहले जिले के एक थाना प्रभारी को इस वजह से थाने से हटाकर पुलिस लाइन में पदस्थ करवा दिया गया था कि उनकी विभागीय जांच चल रही है। विभागीय जांच अभी पूरी भी नहीं हुई और उनको फिर से उपकृत करते हुए यातायात थाने का प्रभारी बना दिया गया है। वहीं एक अन्य थाना प्रभारी को भी निलंबित किया गया था। निलंबित किए गए थाना प्रभारी बहाल हो गए लेकिन उनका तालमेल अधिकारियों से ठीक नहीं है, इसलिए उनकी कहीं पदस्थापना नहीं की जा रही है।
आरक्षकों का क्या कुसूर?
पुलिस थानों में पदस्थ रहे कुछ आरक्षकों को भी पुलिस लाइन में अटैच किया गया है लेकिन आरक्षकों का जुगाड़ न होने से दोबारा थानों में पदस्थापना नहीं पा रहे हैं। ऐसे में सवाल यही उठ रहा है कि जब विभागीय जांच वाले अधिकारियों की ताजपोशी की जा रही है तो बेचारे उन आरक्षकों की क्या गलती है जो उनको लाइन में पदस्थ किया गया है। यानी जिले के पुलिस महकमे में थाना प्रभारियों के लिए अलग नियम और निचले स्टॉफ के लिए अलग नियम बने हुए हैं। समस्या जो भी हो लेकिन जिस तरह से जिले के पुलिस महकमे में तबादला उद्योग पिछले कुछ समय से फलफूल रहा है उससे पुलिस की अच्छी खासी किरकिरी हो रही है।
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