Singrauli News : चितरंगी के बगैया गांव में खेल प्रतिभाओं को अच्छा मैदान देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर बनाया गया स्टेडियम बदहाल हो गया है। देखरेख के अभाव में स्टेडियम खंडहर में तब्दील हो गया है। मैदान भी ऊबड़-खाबड़ हो गया है। करीब 7 साल पहले बनाया गया बगैया स्टेडियम असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है। दिन हो या रात, शराब पीने वाले लोग स्टेडियम में बैठकर नशे की लत को इत्मीनान से पूरा करते कभी भी देखे जा सकते हैं। चूंकि स्टेडियम का निर्माण गांव की बसाहट से काफी दूर किया गया है, इसलिए बच्चे भी खेलने-कूदने के लिए स्टेडियम नहीं आते हैं। जिस उद्देश्य से गांव में स्टेडियम बनाया गया था, उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है।
खिड़की-दरवाजे हो गए चोरी
बगैया गांव में जो स्टेडियम सात साल पहले बनवाया गया था। उस तरह का स्टेडियम वैढ़न शहर व आसपास के क्षेत्र में भी नहीं बना है। आरईएस विभाग के माध्यम से बनवाए गए स्टेडियम का रखरखाव न होने से चोर स्टेडियम के खिड़की-दरवाजे तक चुराकर ले गए हैं। खिलाड़ियों के लिए बनाए गए चेंजिंग रुम से सामग्री चोरी हो चुकी है। चेंजिंग रुम में खिलाड़ियों की जगह जानवरों ने कब्जा जमा लिया है। बरसात होने पर आवारा मेवेशी चेंजिंग रुम में आकर डेरा जमा लेते हैं।
गांव के लोग बेड़ते हैं मवेशी
लंबे-चौड़े स्टेडियम को लोगों द्वारा अब मवेशी रखने के लिए उपयोग किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि गांव में जो आवारा मवेशी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, उन मवेशियों को गांव के लोग स्टेडियम में लाकर बेड़ देते हैं। चूंकि स्टेडियम में चारों तरफ बाउंड्रीवॉल बनी हुई है, जिससे मवेशी स्टेडियम से निकल नहीं पाते हैं। जब बरसात होती है उस समय कई मवेशी बरसात से बचने के लिए खुद ही स्टेडियम में खिलाड़ियों के लिए बनाए गए कमरों में जाकर शरण ले लेते हैं।
मैदान भी समतल नहीं
करीब 5 एकड़ में बनाए गए स्टेडियम और खेल मैदान देखरेख के अभाव में उबड़ खाबड़ हो गया है। मैदान क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी खेलने लायक तक नहीं बचा है, क्योंकि मैदान में बड़े- बड़े-बड़े पत्थर पड़े हुए हैं। मैदान में घासफूस उग आई है, जिससे किसी तरह का खेल हो पाना संभव नहीं है। मैदान को समतल करने के लिए जो मिट्टी की परत डाली गई। ई थी, वह भी बह गई है। जिससे मैदान में बड़े-बड़े कंकड़ पत्थर हो गये हैं।
ग्रामीणों ने नहीं समझी स्टेडियम की अहमियत
बगैया गांव सहित आसपास के गांवों के खिलाड़ियों को सर्वसुविधायुक्त खेल मैदान व स्टेडियम की सुविधा दिए जाने के लिए स्टेडियम का निर्माण साल 2017-18 में कराया गया था। स्टेडियम बनने के बाद कुछ दिनों तक तो सब ठीक चलता रहा, लेकिन धीरे- धीरे स्टेडियम में खिलाड़ियों का आना कम हो गया। खिलाड़ियों के न आने से स्टेडियम बदहाल पड़ा रहा। जिसका फायदा उठाते हुए ग्रामीणों ने मवेशियों को रखने के लिए स्टेडियम का उपयोग शुरु कर दिया। बची कसर असामाजिक तत्वों ने शराब पीने का अड्डा बनाकर पूरा कर दी।