Singrauli News :जिले की निर्वाचन शाखा में पदस्थ एक महिला तहसीलदार का 12 जुलाई को तबादला कर दुधमनिया में पदस्थ किए जाने का आदेश जारी किया गया था। फिर पता नहीं किस राजनीतिक व्यक्ति का दबाव पड़ा कि 16 जुलाई को तबादला आदेश में संशोधन कर उसे दुधमनिया से हटाकर अतिरिक्त तहसीलदार कचनी वृत्त में पदस्थ कर दिया गया। यानी चार दिनों के अंदर महिला तहसीलदार का जिले के अंदर ही दो बार तबादला कर दिया गया। वहीं दुधमनिया में एक नेता की करीबी नायब तहसीलदार को बतौर तहसीलदार पदस्थ कर दिया गया है। चूंकि दुधमनिया में प्रस्तावित सिंगरौली प्रयागराज हाइवे के लिए जमीन का भू- अर्जन और मुआवजा वितरण किया जाना है, इसलिए पहले से ही अपनी पंसद के अधिकारी बिठाये जा रहे हैं, ताकि मुआवजा वितरण में उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो।
सीनियर की जगह जूनियर को दिया गया प्रभार
जिस महिला तहसीलदार को कचनी वृत्त में पदस्थ किया गया है, वह जिले में पदस्थ सभी तहसीलदारों से सीनियर हैं। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि जिले के मुखिया के आगे ऐसा क्या दबाव आया कि उन्होंने सीनियर के रहते हुए किसी नायब तहसीलदार को दुधमनिया का तहसीलदार बना दिया। बताया जा रहा है कि दुधमनिया तहसील में पहले तहसीलदार सविता यादव को पदस्थ किया गया था, उसके बाद उनको हटाकर नायब तहसीलदार सारिका परस्ते को तहसीलदार बना दिया गया है। जिससे जिले के अन्य तहसीलदारों में रोष व्याप्त है।
तरह-तरह की हो रहीं चर्चाएं
चार दिन के अंदर किसी तहसीलदार का जिले के अंदर दो बार तबादला किए जाने से तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं। कुछ लोगों का कहना है कि राजनीतिक दबाव के चलते एक वर्ग विशेष के अधिकारी को वर्ग विशेष वाले क्षेत्र में पदस्थ कराया गया है। अगर यह चर्चा सही है तो ऐसा करना कहीं से उचित नहीं है क्योंकि लोगों की यह आस्था है कि अधिकारी किसी वर्ग विशेष का नहीं होता है, वह सभी का होता है। अगर वर्ग विशेष वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की पदस्थापना इसी तरह से जिले में कराई जाने लगी तो फिर जिले व क्षेत्र में रह रहे दूसरे वर्ग विशेष वाली जनता का क्या होगा ?