Singrauli News : 7 मई को कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक ने एनसीएल और विस्थापितों के साथ वार्ता कर कई बिंदुओं पर सहमति बनाई थी. जिसमें मोरवा के आसपास निवासरत विस्थापित ब्लास्टिंग और पानी की की समस्या से जूझ रहे हैं, जिसे लेकर NCL डीजीएमएस व जिला प्रशासन विस्थापितों के साथ बैठकर कई बिंदुओं पर चर्चा कर आम सहमत बनाई थी लेकिन आज तक इन विस्थापितों की NCL प्रबंधन अनदेखी कर रहा है। जिसे विस्थापित लामबंद होकर धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।
NCL डीजीएमएस व जिला प्रशासन के द्वारा कहा गया था कि भारी ब्लास्टिंग से होने वाली समस्या के समाधान के प्रयास किए जायेंगे। यदि ब्लास्टिंग के लिए समय परिवर्तन की जरूरत होगी तो किया जायेगा, इससे पहले एनसीएल के अधिकारियों से बातचीत की जायेगी और इस सिस्टम को समझा जायेगा। हम बिना देरी किए ही इसका समाधान निकालने का प्रयास करेंगे। यह भी जानेंगे कि अब तक क्या नुकसान हुआ है और क्या होता आ रहा हैं। उसकी भरपाई क्यों नहीं की गई है? मोरवावासियों की ब्लास्टिंग से समस्या को सुनने के उपरांत जिले के कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने 7 मई को मोरवा थाने में यह कहा था।
मोरवा थाना परिसर में ब्लास्टिंग की समस्या को लेकर आयोजित बैठक में पुलिस अधीक्षिक निवेदिता गुप्ता ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा था कि डीजीएमएस भी आकर चले गये। अब तक तमाम बैठकें हुई लेकिन समाधान नहीं निकाला जा सका है। जिले के कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक के द्वारा भरोसा दिलाया गया था कि जल्द ही इसका समाधान निकाल लिया जायेगा लेकिन 40 दिन बीत गये हैं, अभी तक किसी प्रकार की बात तक नहीं हुई है तो समाधान कब निकलेगा? स्थितियां जब बेहद संवेदनशील हैं, भीषण गर्मी से परेशान लोगों को हर दोपहर भारी ब्लास्टिंग की पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है। परंतु ब्लस्टिंग की तीव्रता को नियंत्रित नहीं किया जा सका है।
आखिर विस्थापित क्यों न करें आंदोलन ?
सिंगरौली विस्थापन मंच ने कहाकि कई बार विस्थापितों की सुविधा के लिए एनसीएल लिखित आश्वासन देता है लेकिन उस पर अमल नहीं किया जाता है, तो फिर विस्थापित हो रहे लोग क्यों न आक्रोशित हों। कई बार जिला प्रशासन व एनसीएल प्रबंधन के आश्वासन पर धरना प्रदर्शन की गतिविधियों को वापस लिया गया है। लेकिन एनसीएल प्रबंधन जानबूझ कर विस्थापितों को दुष्प्रेरित करने के लिए सहमति के बिन्दुओं की अनदेखी कर रहा है। इन परिस्थितियों में विस्थापितों का आंदोलित होना स्वाभाविक है।
पानी की एक- एक बूंद के लिए तरसते विस्थापित
सहमति के बिन्दुओं में मोरवा रहवासी कॉलोनी का जलस्तर एकदम से नीचे चला गया हैं,मोरवा रहवासी पानी की एक- एक बूंद के लिए तरस रहे है,जिससे निजात दिलाने को लेकर एनसीएल ने कहा था कि शुष्क मौसम के दौरान एनसीएल पानी की आपूर्ति में सहायता करेगा लेकिन भीषण गर्मी के बावजूद भी अभी तक एक टैंकर पानी भी मोरवा अथवा विस्थापित होने वाले लोगों की सुविधा के लिए उपलब्ध नहीं कराया गया है। महाप्रबंधक भूमि एवं राजस्व एनसीएल मुख्यालय ने अपने हस्ताक्षर से यह सहमति जताया था कि शुक्ला मोड़ पर प्रतिदिन जाम की स्थिति निर्मित होने पर बाईपास बनाया जाएगा,जिससे विस्थापितों को जाम के झाम से निजात मिलेगी,लेकिन आज तकरीबन 40 दिन बिट जाने के बाद भी विस्थापितों का समस्या का हल नहीं हो पाया है, ऐसे में विस्थापित पूरी तरह से परेशान नजर आ रहे हैं।
कलेक्ट्रेट सभागार में दिये थे ये आश्वासन
इससे पहले भी 17 फरवरी को कलेक्ट्रेट सभागार में तय हुआ था कि भारी ब्लास्टिंग से टाउनशिप पर पड़ रहे प्रभाव के संबंध में एनसीएल प्रबंधन ने लिखित आश्वासन दिया था कि ब्लास्टिंग के दौरान कम्पन कम करने के लिए हरसंभव कदम उठाए जायेंगे। दूसरे बिन्दु पर तय हुआ था कि सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाने पर एनसीएल ने कहा था कि धूल को दबाने के लिए रोजाना पानी का छिड़काव और हाथ झाडू से सफाई की जा रही है। हालांकि पानी के टैंकरों के फेरे बढ़ाकर इसे अधिक प्रभावी बनाया जायेगा लेकिन मोरवा बाजार में इस प्रकार के उपाय करते अभी तक नहीं देखा गया है।