Singrauli News : पढ़ाई-लिखाई करने का आशय यह नहीं होना चाहिए कि सरकारी नौकरी ही की जाय। यदि अपने अध्ययन का उपयोग आप अपने व्यवसाय में करते हैं तो सरकारी नौकरी से बेहतर परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं। आज के हुनरमंद युवा नौकरी के लिए बहुत अधिक प्रयास करने के बजाय स्वयं की कंपनी गा व्यवसाय के मालिक बनना अधिक पसंद करते हैं। उन्हीं में से एक हैं रामबहादुर प्रजापति, जिन्होंने बंटनी से एमएससी करने के बाद नौकरी के लिए बहुत भागदौड़ नहीं की बल्कि अपने खेतों में अपना भविष्य संवारने का फैसला कर लिया। रामबहादुर बैगन के पौधे पर टमाटर के पौधों की ग्राफ्टिंग की तकनीक से टमाटर की खेती कर रहे हैं। वह भी पूरे उत्स्वह के साथ। रामबहादुर पुश्तैनी 5 एकड़ ड़ जमीन पर टमाटर की खेती करते हैं। देवसर में हार्टीकल्चर के अधिकारी के दिशा निर्देशन में टमाटर की खेती करते हैं। मल्चिंग विधि से टमाटर की खेती शुरू की। अब वे टमाटर की खेती के लिए नर्सरी लेने के लिए छत्तीसगढ़ के रायपुर जाते हैं और वहां की एक नर्सरी से 7000 पौधे लेकर आते हैं। जिसके लिए वे दो महीने पहले ऑर्डर देते हैं। इनको एक वर्ष में करीब 10 लाख रूपये की आय हो जाती है, जिसमें करीब 5-6 लाख रूपये लागत लग जाती है।
छह महीने में 9-10 टन तक पैदावार
रामबहादुर बताते हैं कि उन्होंने टमाटर की खेती 2019 में शुरू की थी। उसके बाद कोविड-19 में करनी पड़ती है। इसलिये घर से व्यापारी तैयार फसल उठा ले जाते हैं। जुलाई से दिसंबर तक यह फसल बढ़िया चलती है। इस सीजन में रेट टमाटर की फसल को बहुत नुकसान हुआ। टमाटर बाजार पहुंचाने का कोई साधन न तब था, न आज है, क्योंकि उसके परिवहन से अधिक पैकिंग की व्यवस्था अच्छे मिलते हैं, जिससे लागत के साथ मुनाफा भी ठीकठाक हो जाता है।
घर में सभी करते हैं व्यवसाय
रामबहादुर बताते हैं कि उन्होंने वैढ़न के राजनारायण स्मृति शासकीय महाविद्यालय से 2016 में एमएससी किया। दो वर्ष तक प्रतियोगी परीक्षाएं दीं। इसके बाद 2019 में उन्होंने खेती करने का मन बना लिया, इसलिए मैं नौकरी के लिए बहुत परेशान नहीं हुआ। गांव में पिताजी ने चक्को लगा रखी है और दो छोटे भाइयों ने अपने लिए ट्रैक्टर का व्यवसाय कर रखा है। सभी अपने-अपने व्यवसाय में लग गये तो मुझे भी लगा कि अब और अधिक दिन बेरोजगार नहीं रहना चाहिए।
रायपुर की नर्सरी से लाते हैं पौधे
रामबहादुर बताते हैं कि उन्होंने बैगन के पौधे पर टमाटर की ग्राफ्टिंग की विधि से टमाटर की खेती करने की विधि सीखी। इस विधि से टमाटर की खेती करना काफी फायदे का सौदा होता है। टमाटर और बैंगन की नर्सरी एक साथ तैयार की जाती है। ढाई महीने बाद दोनो के पौधे एक बराबर हो जाते हैं। इसी समय बैगन के तने पर टमाटर का पौधा प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। प्रत्यारोपण के बाद दो महीने में टमाटर फल देने लगते हैं और सामान्य पैदावार अधिक फसल होती है।
ग्राफ्टिंग के हैं कई फायदे
युवा किसान रामबहादुर का कहना है कि इस विधि से तैयार की गई फसल 72 से 96 घंटे तक जलभराव की स्थिति में भी खराब नहीं होती है। जबकि टमाटर की दूसरी प्रजाति 20 से 24 घंटे से ज्यादा समय तक जलभराव नहीं झेल पाती है और पानी में डूबे रहने से जड़े सड़ने लगती हैं और पौधे सूख जाते हैं लेकिन ग्राफ्टिंग तकनीकि से लम्बे समय अर्थात लगातार बारिश होने के बावजूद भी पौधे पैदावार देने के लिए सुरक्षित रहते हैं, क्योंकि टमाटर की जड़ों की बजाय उनमें बैंगन की मजबूत जड़ें होती हैं।
ड्रिप इरिगेशन व बेड बनाकर लगाते हैं पौधे
फसल को बचाए रखने और सिंचाई के लिए उन्होंने खेत पर बोरिंग करायी है और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से सिंचाई करते हैं। अच्छी पैदावार होती है और वे इसके लिए कई लोगों को रोजगार भी देते हैं। चार-पांच एकड़ भूमि में बैंगन, टमाटर की खेती करते हैं। वे सेमिनीज की अभिलाष और सीजेंटा 3251 वेरायटी की फसलें उगाकर स्वरोजगार कर रहे हैं। अपने क्षेत्र में रामबहादुर इस नवाचार से अन्य किसानों व युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।