Singrauli News : सीधी-सिंगरौली जिले में इंद्रदेव रूठे हुए हैं। जुलाई का तीसरा सप्ताह बीतने को है और अभी तक ऐसी बारिश नहीं हुई, जिससे कि किसान धान की रोपई कर सकें। नर्सरी तैयार करके अधिकांश किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। जिनके पास सिंचाई के साधन हैं, वे धान रोपाई कर रहे हैं लेकिन कड़ी धूप के कारण ट्यूबवेल की सिंचाई भी काम नहीं आ रही रही है। इस समय अन्नदाता के माथे में चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं।
एक तो धान की रोपाई नहीं हो पा रही है तो दूसरी तरफ उग चुकी मक्के की फसल को बचाने के लिए बार-बार सिंचाई का खर्च भी उनकी लागत में इजाफा कर रहा है। जिले की जलवायु के मुताबिक अब तक 70 फीसदी धान की रोपाई ही खनी चाहिए थी लेकिन अभी 20 प्रतिशत रोपाई भी नहीं हो पायी है। जो हुई है उसमें सिंचाई की लागत का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। किसान नर्सरी तैयार कर बारिश के इंतजार में हैं लेकिन खंड बारिश का शिकार होकर माणूस हैं।
नर्सरी भी हो रही खराब
धान रोपने के लिए तैयार की गई नर्सरी भी अधिक दिन की हो जाने से पीली पड़ रही है। ऐसे में यदि बिना चारिश के पानी भरकर लगाया जाता है तो भी पानी गर्म होने से धान की फसल कमजोर होने, लेट होने का खतरा भी बना हुआ है। मौसम में गर्मी और तेज धूप का असर किसानों के लिए काफी कष्टप्रद है। हालांकि तीन-चार दिन के अंदर बारिश होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं लेकिन बार-बार पूर्वानुमान फेल हो जाने से चिंता बढ़ती जा रही है।
खरीफ लेट होने पर रबी भी लेट होगी
जिले में जब भी बारिश होगी, किसान धान जरूर रोपेगा, चाहे वह जुलाई के अंतिम दिन हों या फिर अगस्त के दूसरे सप्ताह तक रोपे जायें। भले ही उन्हें अगली रबी की फसल के लिए नुकसान ही क्यों न उठाना पड़े। धान की कोई भी फसल कम से कम 120 दिन की होती है। लेटलतीफ रोपाई के कारण उसकी सिंचाई करते-करते बड़ा करने के बाद फसल की मियाद भी बढ़ जाती है ती दूसरी तरफ नवंबर तक गेहू के लिए राखेत भी नहीं खाली हो पाते हैं। रबी की फसल में आलू, मटर की बुआई भी पिछड़ने की आशंका बनी हुई है।
कहीं मक्का भी न निकल जाए हाथ से
मौसम में कड़ी धूप और बारिश नहीं होने से किसानों के द्वारा उगाई गई मक्के की फसल भी मुरझा रही है। किसान को उसे बचाने के लिए भी सिंचाई करने की जरूरत पड़ रही है, जबकि मक्के के इस सीजन में सिंचाई करने जैसी कोई वजह नहीं होती है। यदि जल्द ही बारिश नहीं होती है तो किसानों को दोनों तरफ से नुकसान होने की आशंका बन रही है। जिसका दर्द अन्नदाता किसी से बता भी नहीं पा रहा है। धान के बीज-उर्वरक और उसमें डालने के लिए दवाओं की पहले से खरीदी कर बैठे किसान को कुछ सूझ नहीं रहा है।
मोटे अनाज की फसलों की मजबूरी
मौसम के हालातों को देखते हुए किसान को मोटे अनाज, दलहन और तिलहन की फसल उगाने की मजबूरी होती जा रही है। किसान किसी भी हाल में अपने खेत खाली नहीं छोड़ सकता है। इसलिए उसके बाद इस समय अरहर, तिल, मूंद, उड़द, सरसों जैसी फसलों को बोने की मजबूरी है। बिना बारिश के इन्ही फसलों को उगाकर राहत पायी जा सकती है हालांकि बारिश कम होने से इन फसलों की उपज भी प्रभावित होती है।