Displacement of Morwa Singrauli : एनसीएल द्वारा जयंत एवं दूधिचुआ क्षेत्र के विस्तारीकरण को लेकर मोरवा क्षेत्र का विस्थापन प्रक्रिया में करीब 30 हजार की संख्या में एक बहुत बड़ा विस्थापन होने जा रहा है। जिसके लिए भू- अर्जन की धारा 9 के प्रकाशन के बाद प्रशासन एवं एनसीएल के ढुलमुल रवैये से लोग परेशान दिखाई दे रहे है। वही मोरवा के विस्थापन के बाद पुर्नस्थापना सही ढ़ंग से नही होने पर एक बहुत बड़ी आबादी का रोजगार छिन जाने से बेरोजगार होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। सिंगरौली विस्थापन मंच के वरीष्ठ पदाधिकारी ललित श्रीवास्तव ने जारी बयान में बताया कि मोरवा में धारा 9 प्रकाशन के बाद कोयला मंत्रालय के कोल सचिव श्री मीणा ने सिंगरौली पहुंचकर विस्थापितों के साथ वार्ता करते हुए मोरवा के विस्थापन से होने वाली समस्याओ का आदान प्रदान करते हुए विस्थापितो के प्रति सहानभूति व्यक्त करते हुए कहा कि पुर्नवास स्थल अत्यधिक सुन्दर सर्व सुविधा युक्त इतना व्यवस्थित होगा कि जिस हाल में आप यहां रहते है उससे बेहतर स्थित में वहां रहेंगे।
विस्थापन एक निश्चित अवधि में हो जोगा। इस बात की संतुष्टी कराने के बाद प्रति माह मिलने वाली एनयूटी राशि 2 हजार को बढ़ाकर दस हजार करने की बात पर उन्होने 2 हजार राशि को को कम मानते हुए 7 हजार कराने का भरोसा दिया था। इसके बाद विस्थापत संघ के साथ एनसीएल ने कई बार बैठक की पुर्नवास स्थल पर बृहद चर्चा करते हुए बताया कि पुर्नवास स्थल पर 40 फुट की सड़क, स्ट्रीट लाईट, नाली एवं अन्य आवश्यकताओ की पूर्ति करने वाली तमाम सुविधाए रहेगी। पुनर्वास स्थल का ब्ल्यू प्रिंट बनाकर दिखाया जायेगा जो भारत का सबसे अच्छा पुर्नवास स्थल होगा, स्थल कौन सा होगा की बात पर सीएमडी ने कहा जहां कलेक्टर शासकीय भूमि उपलब्ध करा देंगे। कई स्थानो पर संयुक्त रूप से कलेक्टर एवं सीएमडी पुरे अमले के साथ गये। चर्चा रही की फाइनल होने की स्थति में है शीघ्र डिमांड नोट मिल जायेगा।
विस्थापन पर बेरोजगारी बढ़ेगी
विस्थापन होने से मोरवा शहर पर निर्भर हजारो लोगो का रोजगार छिन जायेगा। इस बात की जानकारी जिला प्रशासन को भी है। मोरवा क्षेत्र मेे करीब 2 हजार छोटी बड़ी दुकाने संचालित है। उन्होने बताया कि नव निर्मित कानून लार 2013 में भूमि अर्जन, पुनर्वासन और विस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार सब कुछ स्पष्ट किया गया है और यहा तो एक सम्पूर्ण शहर के पुनर्वासन की स्थिती निर्मित हो चुकी है। साथ ही अधिनियम 2013 की धारा 38(1) में स्पष्ट रूप् से उल्लेख हे कि कलेक्टर यह सुनिश्चित करने के पश्चात भूमिक का कब्जा लेगा कि प्रतिकार तथा पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन हक दारियो के पूर्ण भुगतान हो चुके है। पुर्नवासन पर कलेक्टर यदि नियमानुसार कानून अपनी दृष्टी बनाये रखेगे तो ही संभव है कि कुछ हद तक नियमों का पालन हो पाये अन्यथा जिले में बेरोजगारी की संख्या बढ़ेगी साथ ही जिले से हजारो लोग पलायन को मजबूर होंग और नशाखोरी, फिरौती, छिनौती चोरी की घटनाये बढ़ेगी।
प्लाट को लेकर असमंजस बरकरार
एनसीएल यह स्पष्ट नही कर पा रहा है कि प्लाट कहा देगा भलुगढ़, पिड़ताली, वैढ़न, नौगढ़ या कही और देने की तैयारी कर रहा है। प्लाट का स्वरूप उसमें सुविधाए क्या होगी, स्थान और सुविधा देखने के उपरान्त ही कहा जा सकता है, यदि प्लाट वैढ़न में दिया जा रहा है तो प्लाट के बदले लोग 40 लाख रुपया भी नही लेगे।
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